The Greatest Guide To बबूल के फायदे और नुकसान





इस गोंद का ज्यादा सेवन करने से कुछ लोगों में श्वसन सम्बन्धी समस्याएं पैदा हो सकती है।

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इसके गोंद को पानी में डालकर उसकी पिचकारी देने से मूत्राशय की सूजन, सुजाक की जलन और पीब रुक जाता है।

बबूल के छाल से बने काढ़ा को छाछ के साथ पिएं। आहार में छाछ का सेवन करने से जलोदर रोग में लाभ होता है।

आयुर्वेद के अनुसार, बबूल एक बहुत ही उत्तम औषधि है। इसलिए अगर आप बीमारियों में बबूल का इस्तेमाल करते हैं निःसंदेह आपको बहुत फायदा मिल सकता है। आइए जानते हैं कि जिस पेड़ को बहुत ही साधारण समझा जाता है, उस बबूल से क्या-क्या लाभ मिल सकता है।

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पत्ते: इसके पत्ते मलरोधक होते हैं। यह चरपरे, रुचिकारक, खांसी, वात, कफ और पाइल्स को दूर करते हैं।

बबूल गोंद हमारे पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है जिससे हमें लूज मोशन एवं पेट फूलने जैसी समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है।

फल

बबूल के पेड़ से निकला यह गोंद, खाने योग्य होता है तथा मिठाई बनाने के Source लिए भी प्रयोग होता है।

बबूल की पतली कोमल, नवीन शाखाओं से दातुन की जाती है। बबूल की छाल, पत्ते, फूल, फलियों के सूखे पाउडर को मिला कर जो चूर्ण बनता है उससे दांतों के पाउडर की तरह प्रयोग कर, दांतों की विभिन्न समस्याओं से बचा जा सकता है।

यह लम्बा, झाड़ीदार और कांटेदार वृक्ष होता है। इसके कांटे लम्बे तथा तीखे होते हैं। इसके पत्ते बबूल के पत्तों जैसे होते हैं, लेकिन उससे कुछ बड़े और गहरे हरे रंग के होते है। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। इसकी फलियां लम्बी होती हैं। फलियां कच्ची अवस्था में हरे रंग की, चपटी तथा मुड़ी हुई होती हैं।

जब आपके गले में किसी प्रकार का संक्रमण होता है तो यह आपके लिए बहुत असुविधाजनक होता है। ऐसी स्थिति में आपको पहले अपने डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्‍टर आपको कोई सिरप या दवा देगा। आप बबूल गोंद का भी उपयोग कर सकते हैं, क्‍योंकि अधिकांश सिरप में बबूल गोंद मुख्‍य घटक के रूप में उपयोग किया जाता है। यह आपको गले में जलन और दर्द से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। आप इसका सेवन करने से गले के संक्रमण के दौरान राहत प्राप्‍त कर सकते हैं।

बबूल के पत्ते के पेस्ट का उबटन लगाने से भी पसीना आना बंद हो जाता है।

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